Monday, 5 December 2016

Satsang Discourse - जिसने सत्य को जान लिया

एक बार भारतवर्ष में एक सभा में व्याख्यान देते हुए स्वामी रामतीर्थ को ऐसे विषय  पर बोलना पड़ा जिसमें राजनीति की गंध आ रही थी। श्रोताओं में न्यायाधीश, वकील और बड़े उच्च पद वाले सरकारी कर्मचारी भी थे। व्याख्यान के बाद वे स्वामीजी के पास आकर यह कहते हुए प्रतिवाद करने लगे कि, "स्वामीजी! भविष्य  में ऐसा व्याख्यान कभी न दीजिये क्योंकि भय है कि आपका शरीर कारागृह में डाल दिया जायेगा या फाँसी पर लटका दिया जायेगा।"
इस पर स्वामी रामतीर्थ ने उत्तर दिया, "प्रियवरों! राम जूडास इसकेरियट(Judas Iscariot) का काम नहीं कर सकता। राम सत्य के ईसामसीह को चाँदी के तीस टुकड़ों के पीछे नहीं बेच सकता क्योंकि कोई व्यक्ति राम को यह निश्चय नहीं करा सकता कि इस संसार में ऐसी भी तेज़ तलवार है जो आत्मा को काट सके या ऐसा तीक्ष्ण शस्त्र भी कोई है जो राम को घायल कर सके। अमर वस्तु,अविनाशी आत्मा, कभी ना उत्पन्न होने वाला, ना ही कभी मारे जाने योग्य, कल और आज सदैव एक समान रहने वाला यह राम है, तो फिर राम उनकी बात कैसे मानता?"   
सत्य और धर्म की राह पर चलने वाले हर महापुरुष को कठोर यातनायेँ व घोर कष्ट सहने पड़े परन्तु उन्होने अपना मार्ग ना बदला। वर्तमान समय में भी अपने हिन्दू धर्म व भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिये घोर कष्ट झेलने वाले परम पूज्य संतश्री आशारामजी बापू भी कहते हैं :-
" हमें मिटा सके यह जमाने में दम नहीं,
   हमसे है जमाना, जमाने से हम नहीं।"
जिसने सत्य को जान लिया,अपने आप को पहचान लिया कौन है जो उसका कुछ बिगाड़ पाये?

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