"सच्चे संत चाहे जहाँ भी रहें सदैव समता के साम्राज्य में रमण करते हुए समाज कल्याण में रत रहते हैं।"
ऐसे ही, परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों पूज्य गुरुदेव के सतत मार्गदर्शन द्वारा सत्संग तथा सेवा का कोई भी अवसर ना चूकने वाले व सदैव आत्मकल्याण में रत संतश्री आशारामजी बापू के साधक, आश्रम हरिद्वार में मार्गशीर्ष पूर्णिमा की कड़ाके की ठंड में साध्वी पूजा बहन के सत्संग में डूबे हुए।
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