पुष्करिणी - वैशाख मास के अंतिम ३ दिन
वैशाख मास के अंतिम ३ दिन दिलायें महापुण्य पुंज (१९ मई से २१ मई २०१६ तक)
'स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभदायी हैं | इनका नाम " पुष्करिणी " है, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं | जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्रह्ममुहूर्त में स्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे कर ले तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है |
वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर म...नुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है | जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है | जो इन तीनों दिन में ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ हैं अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है | जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता | इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मो से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये | अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए |
सुख – सम्पदा और श्रेय की प्राप्ति – वैशाखी पूर्णिमा :
वैशाखी पूर्णिमा को ‘धर्मराज व्रत’ कहा गया है | यह पूर्णिमा दान-धर्मादि के कार्य करने के लिए बड़ी ही पवित्र तिथि है | इस दिन गरीबों में अन्न, वस्त्र, टोपियाँ, जूते-चप्पल, छाते, छाछ या शरबत, सत्संग के सत्साहित्य आदि का वितरण करना चाहिए | अपने स्नेहियों, मित्रों को सत्साहित्य, सत्संग की वीसीडी, डीवीडी, मेमोरी कार्ड आदि भी भेंट में दे सकते हैं |
इस दिन यदि तिलमिश्रित जल से स्नान कर घी, शर्करा और तिल से भरा हुआ पात्र भगवान विष्णु को निवेदन करें और उन्हींसे अग्नि में आहुति दें अथवा तिल और शहद का दान करें, तिल के तेल के दीपक जलाये, जल और तिल से तर्पण करें अथवा गंगादि में स्नान करें तो सब पापों से निवृत हो जाते है | यदि उस दिन एक समय भोजन करके पूनम-व्रत करें तो सब प्रकार की सुख-सम्पदाएँ और श्रेय की प्राप्ति होती है |
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