जहाँ सच्चा प्रेम होता है वहाँ दोष दर्शन नहीं होता।
आपका जितना सामर्थ्य है उसका सदुपयोग किया तो वह व्यापक होता जायेगा और दुरूपयोग किया तो लघु होता जायेगा।
मौन रहने से अंदर का आनंद प्रकट होता है व धैर्य, क्षमा, शांति आदि सद्गुणों का विकास होता है। - पूज्य आशारामजी बापू
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