दशहरा "दश" अर्थात् दस "हरा" अर्थात् "हरने वाला"। तीन शारीरिक, चार वाचिक व तीन मानसिक पापों को हरने वाले गंगा दशहरे के दिन गंगा स्नान अवश्य करना चाहिये। भविष्य पुराण में लिखा है कि जो मनुष्य गंगा दशहरा के दिन गंगाजी में खड़े होकर दस बार "ॐ नमो भगवते ऎं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा" अर्थात् "गंगा दशहरा स्त्रोत" का पाठ करता है, चाहे वह दरिद्र हो या असमर्थ हो वह भी माँ गंगा की पूजा के पूर्ण फल को पाता है। इस दिन गंगा स्नान, अन्न-वस्त्रादि का दान, जप-तप, उपासना और उपवास किया जाता है।
यदि कोई मनुष्य गंगाजी तक जाने में असमर्थ है तो वह अपने घर के पास ही किसी नदी या तालाब में माँ गंगा का ध्यान करते हुए स्नान कर ले अथवा घर में ही पानी में गंगाजल डाल ले व गंगाजी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार से पूजन कर निम्न मंत्र पढे :-
"ॐ नम: शिवायै नारायणायै दशहरायै गंगायै नम:"
पूज्य बापूजी बता रहे हैं कि किस प्रकार इस दिन गंगा स्नान करने से दस प्रकार के पाप निवृत हो जाते हैं
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