पितृ अमावस्या - 28 सितंबर
श्राद्धों में अपने पितरों के निमित्त श्राद्ध करने के साथ ही साथ श्रीमद्भगवद्गीता के सातवें अध्याय का पाठ भी अवश्य करना चाहिए। यह पाठ पितरों की सद्गति व आगे का मार्ग प्रशस्त करने में तो सहायक है ही, घर में यदि पितृदोष है तो उसे भी दूर करता है। इस अध्याय का पाठ पूरे वर्ष में कभी भी अथवा प्रतिदिन भी कर सकते हैं। संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार की प्रस्तुति- पहली बार संस्कृत में श्रीमद् भगवद्गीता के सातवें अध्याय का पाठ 👇
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