परम पूज्य गुरुदेव संतश्री आशारामजी बापू के अवतरण दिवस की लख-लख वधाईयां।
श्रीआशारामायण में आता है, "ज्ञानी वैरागी पूर्व का तेरे घर में आय, जन्म लिया है योगी ने पुत्र तेरा कहलाय।"
श्रीमद् भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि तेरे और मेरे बहुत से जन्म हुए हैं, तू उन सबको नहीं जानता किन्तु मैं जानता हूं। ठीक इसी प्रकार भगवत्प्राप्त महापुरुषों का भी, जगत के उद्धार हेतु अवतरण, एक ही बार नहीं होता अपितु जब-जब धर्म की हानि होती है, ऐसे महापुरुष धरा पर अवतरित होते रहते हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं पूज्य बापूजी।
"संत-सेवा औ श्रुति श्रवण, मात-पिता उपकारी,
धर्म पुरुष जन्मा कोई, पुण्यों का फल भारी ।।"
धर्म पुरुष जन्मा कोई, पुण्यों का फल भारी ।।"
जिनके जन्म लेते ही कुलगुरू ने भविष्यवाणी कर दी थी कि यह कोई साधारण बालक नहीं है।
"यह तो महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा।"
इसी भविष्यवाणी को सत्य सिद्ध करते हुए पूज्य बापूजी सैकड़ों नहीं, हजारों नहीं, लाखों नहीं बल्कि करोड़ों लोगों के नारकीय जीवन को आध्यात्मिक बना चुके हैं।
करोड़ों लोगों को दीक्षा देकर पूज्य बापूजी ने घर-घर में भगवन्नाम की ज्योत जगाई है। इस घोर कलिकाल में जहां धर्म की परिभाषा भी कोई मुश्किल से ही जानता है, पूज्य बापूजी ने ब्रह्मचर्य, संयम, सदाचार, आत्मज्ञान, अपने धर्म व संस्कृति की रक्षा आदि का ऐसा ज्ञान दिया है कि साधक, समाज में धर्म को अपने स्वरूप में स्थापित करने के लिये कटिबद्ध हैं। वह दिन दूर नहीं जब अपने प्यारे गुरूदेव के संकल्प को पूरा कर, पूज्य बापूजी के साधक, भारत को विश्वगुरु बनायेंगे। एक बार फिर लोककल्याण हेतु,धरा पर अवतरित होने के लिए ऐसे महापुरुष के श्रीचरणों में वन्दन।
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