एक व्यक्ति किसी प्रसिद्ध संत के पास गया और उनसे बोला, “महात्मन् ! मुझे मुक्ति का उपाय बताइये। संत ने कहा, “श्मशान में जाओ, कब्रिस्तान में जाओ और कब्रों को खूब गालियाँ निकाल कर आओ।“ उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया। दूसरे दिन संत ने कहा, “आज जाओ और कब्रों की खूब प्रशंसा व स्तुति कर के आओ।“ उस व्यक्ति ने फिर ऐसा ही किया। इस बार जब वह संत के पास गया तो संत ने पूछा, “किसी कब्र ने तुम्हें कुछ कहा?” व्यक्ति बोला, “नहीं महात्मन् ! किसी कब्र ने कोई जवाब नहीं दिया।“ संत मुस्कुराये और बोले, “जब तुम इस अवस्था में पहुँच जाओ अर्थात् किसी भी अवस्था में जब तुम्हारी कोई प्रतिक्रिया ना हो तो समझना तुम मुक्ति के अधिकारी हो।“
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