अक्षय फलदायी "अक्षय तृतीया" -
28 अप्रैल (सुबह 10.29 से 29 अप्रैल सुबह 6.55 तक)।
अक्षय तृतीया के दिन स्नान, होम, जप, दान आदि का अनंत फल है, इसलिए भारतीय संस्कृति में इसका बड़ा महत्व है। माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के अवतार हुए हैं, इसीलिए इस दिन इनकी जयंती भी मनाई जाती हैे। इसके अतिरिक्त इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल होता है। अक्षय यानी जिसका कभी क्षय न हो या जो कभी नष्ट न हो। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है किंतु वैशाख मास की यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।
No comments:
Post a Comment