Thursday, 28 May 2020

As is your food, so is your mind

As is your food, so is your mind.

"जैसा खायें अन्न, वैसा होय मन।"


साधकों के लिये तो ग्रहण किये जाने वाले अन्न पर ध्यान देना आवश्यक है ही परंतु जो लोग साधना नहीं करते उनके लिए भी अन्न का शुद्ध, सात्विक और नेक कमाई का होना अत्यंत आवश्यक है।


पांच कारणों से भोजन अशुद्ध माना जाता है।
आय का अनुचित स्त्रोत, अशुद्ध स्थान, भोजन में प्रयोग की जाने वाली अशुद्ध वस्तुएं, प्रभाव व आकस्मिक कारक। इन कारणों से अपने को विशेष रूप से बचाकर, ग्रहण किये जाने वाले अन्न का मन पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है तथा साधना में भी बरकत आती है। असीम शांति व आनन्द मिलता है। मन दिव्य संस्कारों से भर जाता है।


Pure Sattvik food like rice, wheat flour, moong, ghee, milk & vegetables like lauki, parval, karela, turai are recommended in the summer by Pujya Sant Shri Asharamji Bapu.


Subscribe Our:

YouTube Channelhttp://www.youtube.com/ashramharidwarofficial

Facebook Page: http://www.facebook.com/AshramHaridwar

Twitter ID : http://www.twitter.com/@AshramHaridwar

BLOGGER ID: http://ashramharidwar.blogspot.com


No comments:

Post a Comment