सद्गुरु और सच्चे शिष्य को पंजाब की धरती ने जितना समझा है, कहीं और मिलना मुश्किल है। इसका कारण, गुरु नानकदेवजी से लेकर गुरु गोविंद सिंह तक की वो गुरु परम्परा जिन्होंने बिना किसी भेदभाव के सबको हृदय से लगाया और गीत हमेशा परब्रह्म परमात्मा का ही गाया।
"वाह गुरू वाह वाह गुरू"
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