आप अगर हरिद्वार में हैं और आपने बिरला घाट आकर, प्रसिद्ध संतश्री घाट वाले बाबा की समाधि स्थल के दर्शन नहीं किये तो आपका हरिद्वार आना व्यर्थ है। हरकी पौड़ी से, बिड़ला घाट की दूरी लगभग डेढ़ किलोमीटर है। तीर्थनगरी व मां गंगा के दर्शन तो बढ़िया हैं ही, आप यदि आध्यात्मिकता की खोज में हैं तो आपकी यह खोज घाट वाले बाबा की समाधि पर आकर पूरी हो सकती है। समाधि स्थल पर आकर ऐसी असीम शांति मिलती है कि मन वापसी का रास्ता भूलने लगता है।
घाट वाले बाबा कहा करते थे, "मैंने विचित्र और पेचीदे मार्गों से उन तत्वों की खोज की जो मुझे ईश्वर तक पहुंचा सके, प्रत्येक नई सड़क से जिस पर कि चला, तत्व को दूर ही पाया। मैं (थक कर) बैठ गया, इस तरह से जब नि:स्तब्धता की दशा विद्यमान थी और संयोगवश अपने भीतर ध्यान किया तो इस अंतर्दृष्टि से मुझे सब कुछ मिल गया जिसकी मैं खोज में था और मेरी आत्मा ने सबको व्याप्त कर दिया।"
तत्वज्ञान पर बाबाजी का सत्संग आज भी सांयकालीन संध्या में, कैसेट्स के माध्यम से सुना जाता है।
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