Monday, 27 June 2016

Food for Thought by H. H. Asharam Bapu Ji

जिस दिन ब्रह्मज्ञानी गुरु द्वारा शिष्य को दीक्षा मिल जाती है, उस दिन से गुरुकृपा हर क्षण उसके साथ होती है। गुरु उसकी निगरानी रखते हैं, उत्थान कराते हैं, गिरने से बचाते हैं, खतरों से चेताते हैं और हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करते हैं। संसार के झंझटों से तो क्या, जन्म – मरण से भी मुक्ति दिला देते हैं परंतु शर्त केवल इतनी है कि शिष्य गुरु में दोष दर्शन करने वाला, गुरु से गद्दारी करने वाला न हो। गुरुकृपा उसी पर होती है जो शिष्यत्व के गुण श्रद्धा, संयम, सत्यता, निरहंकार व प्रेम को अपने दिल में संभाल कर रखता है। #पूज्यबापूजी

No comments:

Post a Comment