ध्यान से प्राप्त शांति तथा आध्यात्मिक बल की सहायता से जीवन की जटिल से जटिल समस्याओं को भी बड़ी सरलता से सुलझाया जा सकता है और परमात्मा का साक्षात्कार भी किया जा सकता है। पूज्य बापूजी बताते हैं : “ चार अवस्थाएँ होती हैं – घन सुषुप्ति (पत्थर आदि ), क्षीण सुषुप्ति ( पेड़-पौधे आदि ), स्वपनावस्था ( मनुष्य, देव, गंधर्व आदि ) और जाग्रत अवस्था ( जिस ने अपने शुद्ध, बुद्ध, चैतन्यस्वभाव को जान लिया )। आधा घंटा परमात्मा के ध्यान में डूबने से जो शांति, आत्मिक बल व धैर्य आता है उससे एक सप्ताह तक संसारी समस्याओं से जूझने की ताकत आ जाती है। ध्यान में लग जाने से अद्भुत शक्तियाँ प्रकट होने लगती हैं। अत: ध्यान करके अपनी वृत्तियों को सूक्ष्म करने का प्रयास करना चाहिये।
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