"जन्माष्टमी" पर संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में बच्चों द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। आईये, हम भी आनन्द लें।
"जन्माष्टमी" पर संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में बच्चों द्वारा मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया गया। आईये, हम भी आनन्द लें।
संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में आज "जन्माष्टमी" का पावन पर्व मनाया गया। आश्रम में, भक्तों ने जप और वीडियो सत्संग का लाभ लिया। इस अवसर पर बच्चों ने गोपी रूप में, नृत्य कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया।
"When you choose a Guru,
You become a follower,
When your Guru chooses you,
You become a disciple."
The word "GURU" is derived from 2 words- "GU" and "RU." The Sanskrit root "GU" means darkness or ignorance and "RU" denotes the remover of darkness. Therefore, a Guru is one who removes the darkness of our ignorance. But how to remove or dispel darkness?
You cannot kick the darkness out of a place because darkness is not an existence by itself. Darkness is just absence of light. A true Guru, who has realised his identity with the Omnipresent Spirit, can lead the seeker on his inward journey towards perfection. According to Yoganand Paramhansji- "Only a master, one who knows GOD may rightly teach others about HIM." He, who faithfully follows a true Guru becomes like him.
Let's celebrate Guru Purnima wholeheartedly.
आज वटसावित्री पूर्णिमा के अवसर पर संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में साध्वी रेखा दीदी के सत्संग का आयोजन किया गया । पूज्य बापूजी के संस्मरणों के साथ ही, भजनानंदी साधकों के अनुभवों का लाभ भी सभी को मिला ।
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गंगा पापं शशि तापं दैन्यम् कल्पतरुस्तथा ।
पापं तापं च दैन्यम् च हन्ति साधु समागमः ।।
शास्त्रों में संगति की महिमा बताते हुए कहा गया है कि गंगा स्नान से पाप, चन्द्रमा के दर्शन से ताप (गर्मी) एवं कल्पवृक्ष का दर्शन दरिद्रता को दूर करता है परन्तु संतजनों की संगति से पाप, ताप और दरिद्रता तीनों ही दूर हो जाते हैं ।
किसी संत से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि भगवान कृष्ण सदैव मुस्कुराते क्यों रहते थे । उन्होंने बहुत ही सुंदर उत्तर दिया । संतश्री ने कहा क्योंकि वह निर्देशक थे । उन्हें सदैव यह पता रहता था कि आगे क्या होने वाला है । पूरी फिल्म ही उनके द्वारा निर्देशित की हुई थी । इसलिए उन्हें कुछ प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ना तो कौरवों के पक्ष में थे और ना ही पांडवों के। भगवान तो थे केवल धर्म के पक्ष में। उनका अवतरण ही धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश के लिए होता है। भगवान ने तो बहुत प्रयास किया कि युद्ध ना हो, उन्हें भारी विनाश दिखाई दे रहा था, इसीलिए वह कौरवों के पास शांति प्रस्ताव लेकर गए परंतु उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया । आज के परिप्रेक्ष्य में भी यह बात बिलकुल सटीक बैठती है । इस समय भी जो महाभारत चल रही है, वो वास्तव में धर्म व अधर्म का ही युद्ध है । इसका स्वरूप जरूर बदला हुआ है क्योंकि युग अलग है ।
इस महाभारत में सद्गुरू रूपी भगवान जानते हैं कि जो कुछ भी चल रहा है इसका परिणाम क्या है । जैसे पांडव व कौरव दोनों ही भगवान के लिए बराबर थे, उसी तरह सद्गुरू के लिए भी सब बराबर हैं । फर्क है तो सिर्फ अपने कर्मों का । पांडव भगवान के अनुसार चले तो बचे रहे परंतु कौरव विपरीत चले और विनाश को प्राप्त हुए । इतिहास अपने आप को दोहरा रहा है । भगवान का तो अर्थ ही है धर्म । अंततः जीत धर्म की ही होनी है, अधर्म चाहे कितना भी जोर लगा ले ।
महाकुंभ_हरिद्वार_2021 चैत्र नवरात्रि, गुड़ी पड़वा, बैसाखी व चेटीचंड जैसे पर्व और संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में साध्वी रेखा दीदी व संतों के सान्निध्य में सत्संग वर्षा का अद्भुत आनंद।
आज आश्रम में पधारीं मां दर्शना ज्योति जी के सत्संग व भजनों ने भक्तों को भावविभोर कर दिया। मां द्वारा अपने सद्गुरु के पावन प्रसंगों को सुनकर साधक आनन्दित हो गये।
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शाही स्नान - 12 अप्रैल (सोमवती अमावस्या)
प्रमुख स्नान -13 अप्रैल ( चैत्र शुक्ल प्रतिपदा)
शाही स्नान - 14 अप्रैल (मेष संक्रांति)
साध्वी रेखा दीदी की तीन दिवसीय सत्संग वर्षा व उपरोक्त तिथियों का लाभ लेने हेतु, आप भी सादर आमंत्रित हैं संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में।
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आज #महिलादिवस के अवसर पर, "महिला उत्थान मण्डल, हरिद्वार" की बहनों ने ए•डी•एम श्रीभगवत किशोर मिश्रा को ज्ञापन देकर, पूज्य संतश्री आशारामजी बापू की सह सम्मान रिहाई की अपील करते हुए, अनवरत चल रहे सेवा कार्यों से अवगत कराया।
मण्डल द्वारा कैदी उत्थान कार्यक्रम, तेजस्वीनी अभियान, महिला सशक्तिकरण शिविर एवं दिव्य शिशु संस्कार, नि:शुल्क चल चिकित्सालय तथा भजन करो भोजन करो पैसा पाओ योजना आदि सेवा कार्यों का ब्यौरा देने पर ए•डी•एम ने समाज उत्थान के लिये किये जाने वाले ऐसे उत्तम कार्यों की सराहना की।
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आजीवन ब्रह्मचारिणी परंतु ऐसी मां जिसके सभी बच्चे। सिद्ध योगीनी मगर सभी के लिये हृदय में अथाह प्रेम। जो एक बार आ जाता, बस उनका ही हो जाता। तपोवनी संत सुभद्रा मां कहा करती थीं, "मैंने जीवन पर्यन्त नारायण से कुछ नहीं मांगा। मैं मांगना जानता ही नहीं।" बांटने की उनकी कोई सीमा नहीं थी। सदैव भंडार भरे ही रहते थे।
कभी-कभार किसी युग में ऐसे विरले उच्चकोटि के संत धरा पर अवतरित होते हैं और महाप्रयाण से उसे रीता कर जाते हैं।
Tapovani Maa, lifelong Brahmcharini yet caring and compassionate mother to all. A Siddha Yogini but down-to-earth. The end of an ERA.
OUR PARENTS, OUR VALENTINES
Let's celebrate "Valentine's Day" with parents to make our future bright.
पूज्य संतश्री आशारामजी बापू की पावन प्रेरणा विश्वभर में मचा रही धूम। 'वेलेंटाइन्स-डे' पड़ा फीका। हरिद्वार आश्रम में आज मनाया गया "मातृ-पितृ पूजन दिवस।" बिहार, दिल्ली, मुंबई, हरियाणा व पंजाब से आये लोग भी हुए सहभागी।
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हरिद्वार में आज संतश्री आशारामजी बापू के साधकों द्वारा गंगा किनारे "मातृ-पितृ पूजन" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छोटे-छोटे बच्चे बड़े उत्साह के साथ इसमें सहभागी हुए और 14 फरवरी को भी इसे मनाने का संकल्प लिया।
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