Budhwari Ashtami and Sant Tulsidas Jayanti
10 अगस्त – बुधवारी अष्टमी व संत तुलसीदास जयंती। मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि। सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। इनमें किया गया जप -ध्यान, स्नान, दान व श्राद्ध अक्षय होता है।
“ बिनु सत्संग बिबेक ना होई।
राम कृपा बिनु सुलभ ना सोई।।“
संत तुलसीदास कहते हैं कि सत्संग व संतों का संग किए बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती और सत्संग तभी मिलता है जब ईश्वर की कृपा होती है। यह आनंद व कल्याण का मुख्य हेतु है। अन्य सभी साधन तो मात्र पुष्पों की भांति है। संसार रूपी वृक्ष में यदि फल हैं तो वह सत्संग है। उदर पूर्ति तो फलों से ही संभव है ना कि पुष्पों से।
No comments:
Post a Comment