Guru Bhakti Yog - Asharam Bapu Ji Satsang
स्वामी शिवानंद सरस्वती "गुरुभक्तियोग" में कहते हैं, “ गुरु को देहस्वरुप में या एक व्यक्ति के स्वरूप में नहीं माना जाता अपितु परम सत्य के प्रतिनिधि के रूप में माना जाता है। गुरु पर अवलंबन शिष्य की आत्मशुद्धि की निरंतर प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिष्य ईश्वरीय परम तत्व का अंतिम लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।“
भोले बाबा भी “ छंदावली ” में कहते हैं :-
“ गुरुदेव अद्भुत रूप, हैं परधाम माह...ीं विराजते।
उपदेश देते सत्य का, इस लोक में आ जावते।।
दुर्गम्य का अनुभव करा, भय से परे ले जावते।
पर धाम में पहुंचाय कर, स्वराज्य पद दिलवावते।।
संत प्रीतम दासजी कहते हैं :-
" गुरु को माने मानवी, देखे देह व्यवहार,
कह 'प्रीतम' संशय नहीं, पड़े नरक मोझार।"
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