Rekha bahen Satsang at AshramHaridwar
" साथी सगे सब स्वार्थ के, यह स्वार्थ का संसार है।
नि:स्वार्थ सद्गुरु देव हैं, सच्चा वही हितकार है।।
ईश्वर कृपा होवे तभी, सद्गुरु कृपा जब होय है।
सद्गुरु कृपा बिनु ईश भी, नहीं मैल मन का धोय है।।"
“भोले बाबा” की “छंदावली” की उपरोक्त पंक्तियों के साथ ही संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में कल शाम सात बजे से सत्संग आरंभ हुआ। श्रावण मास के सोमवार व मासिक शिवरात्रि के अवसर पर आयोजित इस सत्संग में साध्वी रेखा बहन ने बताया कि सेवक का सेवा - धर्म सबसे ऊँचा है। कई शिव मंदिर ऐसे मिल जाएँगे जिनमें माता पार्वती, कार्तिक भगवान या गणेश भगवान विराजमान ना हों जबकि वे शिव परिवार के सदस्य हैं परंतु एक भी शिव मंदिर ऐसा नहीं मिलेगा जिसमें नंदी महाराज विराजमान ना हो। सेवक के बिना स्वामी भी नहीं रह सकते। सत्संग के बाद “रुद्राष्टकम्” व “श्रीशिवपंचाक्षरस्तोत्रम्” का पाठ हुआ। रेखा बहन ने “पंचाक्षर मंत्र (नम: शिवाय)” तथा “मृत्युंजय” मंत्र का जप भी कराया। साधकों ने उत्साहपूर्वक सत्संग में भाग लिया।
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