आजीवन ब्रह्मचारिणी परंतु ऐसी मां जिसके सभी बच्चे। सिद्ध योगीनी मगर सभी के लिये हृदय में अथाह प्रेम। जो एक बार आ जाता, बस उनका ही हो जाता। तपोवनी संत सुभद्रा मां कहा करती थीं, "मैंने जीवन पर्यन्त नारायण से कुछ नहीं मांगा। मैं मांगना जानता ही नहीं।" बांटने की उनकी कोई सीमा नहीं थी। सदैव भंडार भरे ही रहते थे।
कभी-कभार किसी युग में ऐसे विरले उच्चकोटि के संत धरा पर अवतरित होते हैं और महाप्रयाण से उसे रीता कर जाते हैं।
Tapovani Maa, lifelong Brahmcharini yet caring and compassionate mother to all. A Siddha Yogini but down-to-earth. The end of an ERA.