Sunday, 21 February 2021

A Siddha Yogini - End of ERA

आजीवन ब्रह्मचारिणी परंतु ऐसी मां जिसके सभी बच्चे। सिद्ध योगीनी मगर सभी के लिये हृदय में अथाह प्रेम। जो एक बार आ जाता, बस उनका ही हो जाता। तपोवनी संत सुभद्रा मां कहा करती थीं, "मैंने जीवन पर्यन्त नारायण से कुछ नहीं मांगा। मैं मांगना जानता ही नहीं।" बांटने की उनकी कोई सीमा नहीं थी। सदैव भंडार भरे ही रहते थे।


कभी-कभार किसी युग में ऐसे विरले उच्चकोटि के संत धरा पर अवतरित होते हैं और महाप्रयाण से उसे रीता कर जाते हैं।


Tapovani Maa, lifelong Brahmcharini yet caring and compassionate mother to all. A Siddha Yogini but down-to-earth. The end of an ERA.


Must Watch:

Monday, 15 February 2021

OUR PARENTS - OUR VALENTINES

 OUR PARENTS, OUR VALENTINES

Unconditional bonding of love.....

Compassionate parents, Caring children.


Let's celebrate "Valentine's Day" with parents to make our future bright.


पूज्य संतश्री आशारामजी बापू की पावन प्रेरणा विश्वभर में मचा रही धूम। 'वेलेंटाइन्स-डे' पड़ा फीका। हरिद्वार आश्रम में आज मनाया गया "मातृ-पितृ पूजन दिवस।" बिहार, दिल्ली, मुंबई, हरियाणा व पंजाब से आये लोग भी हुए सहभागी।


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Friday, 12 February 2021

Parents Worship Day Celebrations - 11-February-2021

हरिद्वार में आज संतश्री आशारामजी बापू के साधकों द्वारा गंगा किनारे "मातृ-पितृ पूजन" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छोटे-छोटे बच्चे बड़े उत्साह के साथ इसमें सहभागी हुए और 14 फरवरी को भी इसे मनाने का संकल्प लिया।

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Thursday, 11 February 2021

Parents Worship Day - 14 February

"करते हैं जो मातृ-पितृ पूजन, धन्य हो जाता उनका जीवन।" पूज्य संतश्री आशारामजी बापू के साधकों द्वारा हरिद्वार में गंगा किनारे आयोजित "मातृ-पितृ पूजन" कार्यक्रम में आप सभी सादर आमंत्रित हैं।


दिनांक - 11 फरवरी
स्थान - गंगा किनारे, ठोकर नंबर- 1
सप्तसरोवर, हरिद्वार
समय - दोपहर 2 बजे से


Press Release - Tapovani Mata Ji

 "तरूवर, सरोवर, संतजन चौथा बरसे मेह,

परमार्थ के कारणे, चारों धरिया देह।"


अपने आदर्श जीवन से समाज को कृतार्थ करने वाली "तपोवनी मां" से एक बार हमने पूछा, "मां आपको तपोवन में किस-किस सिद्ध के दर्शन हुए?" हंसते हुए बोलीं, "अरे, मैं तो स्वयं ही सिद्ध हूं। मैं किसके दर्शन करूं? और शांत होकर बैठ गईं।"


धन्य है यह भारत भूमि जो सदैव पूज्य चरणों से भूषित होती रहती है।


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Maa Dhari Devi Ji - Uttarakhand

उत्तराखंड में सात फरवरी को मां धारी देवी ने बरसाई कृपा। उस दिन हमने सुबह लगभग 11:30 बजे मंदिर के अंदर दर्शनों के लिए प्रवेश किया, पौने बारह बजे अनाउंसमेंट सुनाई दिया कि चमोली में ग्लेशियर फट गया है और पानी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, सभी लोग जल्दी से जल्दी मंदिर खाली कर दें। उस समय मंदिर के अंदर मां की डोली को सजाकर, पूजन-अर्चन के बाद कंधों पर उठाकर दूसरे गांव ले जाने की तैयारी थी। जैसे ही घोषणा हुई और लोगों ने डोली को कंधे पर उठाना चाहा तो आश्चर्य डोली का वजन इतना ज्यादा हो गया कि डोली हिलाई भी ना जा सकी। थोड़ी ही देर बाद माता की डोली को आराम से कंधों पर उठा लिया गया और रात दस बजे जब पानी मंदिर तक पहुंचा तो उसका स्तर काफी कम हो चुका था। मां धारी देवी मंदिर, बद्रीनाथ मार्ग पर श्रीनगर व रूद्रप्रयाग के बीच में स्थित है।


जानने योग्य बात यह है कि मां धारी देवी का प्राचीन मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे पर स्थित था परंतु डैम बनाने के लिये मंदिर को वहां से हटा दिया गया था। उत्तराखंड के निवासियों का मानना है कि 2013 में आई केदारनाथ आपदा मां के कोप का ही परिणाम थी। आपदा के बाद सरकार ने भी अपनी भूल को स्वीकार करते हुए, जिस जगह पर माता का प्राचीन मंदिर था, उसी जगह पर फिर से मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। आज यह जगह अलकनंदा के बीच में पड़ती है। भारतीय संस्कृति को हमारा शत्-शत् प्रणाम है, जहां भक्तों की आस्था और श्रद्धा ईश्वरीय शक्तियों को भी अपने प्रेम में बांध लेती है।


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Tapovani Mata Ji MahaSamadhi

महान तपस्विनी, सेवा के प्रति दृढ़ निष्ठावान, प्रेम की साक्षात मूर्ति, ब्रह्मलीन संत सुभद्रा माताजी को आज शाम 5 बजे उनके गंगोरी आश्रम, उत्तरकाशी में भू-समाधि दे दी गई। इस अवसर पर माताजी की गुरु बहन साध्वी उमा भारतीजी, आचार्य बालकृष्णजी व स्वामी राघवेंद्रजी उपस्थित रहे।

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