Guru Purmina - 19-July-2016
गुरु पूर्णिमा: 19th जुलाई 2016
की आप सभी को
खूब – खूब बधाई।
“श्री गुरुस्त्रोतम्” में भगवान महादेव माता पार्वती को कहते हैं :-
प्राणं देहं गेहं राज्यंस्वर्गं भोगं योगं मुक्तिम् |
भार्यामिष्टं पुत्रं मित्रं न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||
*** प्राण, शरीर, गृह, राज्य, स्वर्ग, भोग, योग, मुक्ति, पत्नी, इष्ट, पुत्र, मित्र इन सबमें से कुछ भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है ||
श्रीभृगुदेवं श्रीरघुनाथं श्रीयदुनाथं बौद्धं कल्क्यम् |
अवतारा दश वेदविधानं न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||
*** भगवान के श्री भृगु, राम, कृष्ण, बुद्ध तथा कल्कि आदि वेदों में वर्णित दस अवतार भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है ||
तुलसीसेवा हरिहरभक्तिः गंगासागर - संगममुक्तिः |
किमपरमधिकं कृष्णेभक्तिर्न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||
*** तुलसी की सेवा, विष्णु व शिव की भक्ति, गंगा सागर के संगम पर देह त्याग और अधिक क्या कहूँ परात्पर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है || गुरुपूर्णिमा के इस पावन पर्व पर आओ हम हृदयपूर्वक प्रार्थना करें कि अपने सद्गुरु का ज्ञान हम लोगों में अधिक से अधिक स्थिर हो, अधिक से अधिक फूले फले......
पूज्य बापूजी कहते हैं, “ सद्गुरु की पूजा, सद्गुरु का आदर किसी व्यक्ति की पूजा नहीं है, व्यक्ति का आदर नहीं है लेकिन सद्गुरु की देह के अंदर जो विदेही आत्मा है, परब्रह्म परमात्मा हैं उनका आदर है । किसी व्यक्ति की पूजा नहीं लेकिन उसमें जो लखा जाता है, उसमें जो अलख बैठा है उसका आदर है... ज्ञान का आदर है... ज्ञान का पूजन है... ब्रह्मज्ञान का पूजन है । देवी - देवताओं की पूजा के बाद कोई पूजा रह जाये लेकिन ब्रह्मवेत्ताओं का ब्रह्मज्ञान जिसके जीवन में प्रतिष्ठित हो गया, फिर उसके जीवन में किसकी पूजा बाकी रहे ! जिसने सदगुरु के ज्ञान को पचा लिया, सद्गुरु की पूजा कर ली उसे संसार खेलमात्र प्रतीत होता है । गुरुपूर्णिमा के पर्व पर परमात्मा स्वयं अपना अमृत बाँटते हैं । वर्ष भर के अन्य पर्व और उत्सव यथाविधि मनाने से जो पुण्य होता है उससे कई गुना ज्यादा पुण्य यह गुरुपूर्णिमा का पर्व दे जाता है।“
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