गुरुदेव कैसे कृपा करते हैं? “ जीव शिव से एक हो जाये ” – ऐसी गुरुदेव की अमृतमयी दृष्टि होती है। आनंदमयी माँ से एक भक्त ने पूछा : “ किस अर्थ में गुरुदेव हमारे साथ हैं ?” माँ बोली : “ यह बात अनेक अर्थों में बतायी जा सकती है। पहले इस विषय को अखंड भाव से देखो। गुरु विश्व – ब्रह्मांड के अणु – परमाणु में व्याप्त हैं। इस अर्थ में वह तुम्हारे साथ हैं। दूसरी ओर विचार करने पर देखा जाता है कि जगत में एक ‘सत’ वस्तु है। वे ही गुरु हैं और वे ही शिष्य हैं। इस अर्थ से गुरु तुम्हारे साथ हैं। इसके अलावा गुरु मंत्र रूप से तुम्हारे साथ हैं। इसके बाद विषय को खंड रूप में देखने पर जाना जाता है कि योगी जन योग के जरिये एक ही समय में अनेक जगह पर रह सकते हैं। शिष्य के मंगल के लिये गुरु योगशक्ति के जरिये खंड रूप में सभी शिष्यों के साथ सर्वदा रह सकते हैं।“
श्रीआशारामायण की यह पंक्ति पूज्य बापूजी के करोड़ों साधकों का अनुभव है : “ सभी शिष्य रक्षा पाते हैं, सूक्ष्म शरीर गुरु आते हैं।“
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