Tuesday, 12 July 2016

Chaturmas - 15 July to 11 November 2016

चतुर्मास - 15 जुलाई से 11 नवम्बर

1. चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानन्द स्वभाव में रहते हैं।  अत: इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन आदि विशेष हितकारी, पुण्यदायी व सफलतादायी होते हैं।

2. चतुर्मास में दीपदान अर्थात आश्रम, मंदिर, गंगाजी का तट, पीपल के नीचे अथवा घर पर दीपक जलाने से बुद्धि, विचार और व्यवहार में ज्ञान – प्रकाश की वृद्धि होती है, दीपदान करने का फल भी होता है।

3. बिल्वपत्र (बेल के पत्ते) के जल से स्नान करना पापनाशक व प्रसन्नतादायक होता है। बिल्वपत्र बाल्टी में डाल दें। पाँच बार “ॐ नम: शिवाय” का जप करके फिर पानी सिर पर डालें तो पित्त की बीमारी, कंठ का सूखना कम होगा तथा चिड़चिड़ा स्वभाव भी कम हो जायेगा।

4. चतुर्मास में पाचनतंत्र दुर्बल होता है अत: खानपान सादा, सुपाच्य होना चाहिये। इन दिनों पलाश की पत्तल पर भोजन करने वाले को एक-एक दिन एक-एक यज्ञ करने का फल होता है। पलाश के पत्तल पर भोजन बड़े-बड़े पातकों का नाश करता है व ब्रह्मभाव को प्राप्त कराने वाला होता है।

5. चतुर्मास में निंदा न करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, किसी भी स्त्री पर बुरी नज़र न डालें, संत दर्शन, सत्संग श्रवण, संतों की सेवा तथा भ्रूमध्य में ‘ ॐकार ’ का ध्यान करने से बुद्धि का अद्भुत विकास होता है। मिथ्या आचरण का त्याग कर जप अनुष्ठान करें तो ब्रह्मविद्या का अधिकार मिल जाता है।

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