Monday, 25 July 2016

भगवान के नाम का आश्रय

संत महापुरुष कहते हैं कि ईश्वर दर्शन की यदि अभिलाषा हो तो भगवान के नाम में विश्वास तथा पाप – पुण्य का भेद विचार रखकर चलना चाहिये। ज्ञान, अज्ञान, भूलवश या जानकर किसी भी प्रकार से भगवान के नाम का उच्चारण किया जाये तो उसका फल अवश्य मिलता है। बल्ब  का कार्य है कि वह सब को प्रकाश देता है अब चाहे कोई उसके प्रकाश में चोरी करे या श्रीमद् भागवत का पाठ करे,चाहे कोई भोजन बनाये या नंगा होकर नाचे इससे बल्ब को क्या? वह गुण – दोष से परे है उसका काम है प्रकाश देना। ऐसे ही कोई भगवान के नाम का आश्रय लेकर मुक्ति चाहता है और कोई ठगी या जालसाजी करता है तो इसमें भगवान का क्या दोष? फल तो उसे मिलेगा ही।

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