Sunday, 17 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji


स्वामी समर्थ रामदास सद्गुरु की महिमा का वर्णन करते हुये कहते हैं कि जो गुरु शुद्ध ब्रह्मज्ञानी होते हुए भी कर्मयोगी अर्थात् " सत् " का अनुभव में उपदेश करने वाले होते हैं, वे ही सद्गुरु हैं और वे ही शिष्य को परमात्म दर्शन करा सकते हैं। शास्त्र - अनुभव, गुरु - अनुभव और आत्म -अनुभव इन तीनों का मनोहर संगम जिस पुरुष में दिखे, वे ही उत्तम लक्षणों से सम्पन्न सद्गुरु हैं। मोक्ष के इच्छुक जिज्ञासु को पूरे मन और अत्यंत आदर के साथ ऐसे सद्गुरु की शरण जाना चाहिये तथा उनसे विनम्र निष्कपट होकर आत्मविद्या का लाभ लेना चाहिये।

No comments:

Post a Comment