28 अप्रैल - अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर कल हरिद्वार में हर की पौड़ी व अन्य स्थानों पर साध्वी रेखा दीदी तथा साधकों द्वारा दूध और शर्बत का वितरण किया गया। पूज्य संतश्री आशाराम जी बापू के साधक समाज रूपी देवता की सेवा का अवसर ढूंढ ही लेते हैं। साथ ही इस अवसर पर साधकों द्वारा श्रीआशारामायण का पाठ भी किया गया।
Sunday, 30 April 2017
Friday, 28 April 2017
Akshaya Tritiya - अक्षय फलदायी - अक्षय तृतीया
अक्षय फलदायी "अक्षय तृतीया" -
28 अप्रैल (सुबह 10.29 से 29 अप्रैल सुबह 6.55 तक)।
अक्षय तृतीया के दिन स्नान, होम, जप, दान आदि का अनंत फल है, इसलिए भारतीय संस्कृति में इसका बड़ा महत्व है। माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही पीतांबरा, नर-नारायण, हयग्रीव और परशुराम के अवतार हुए हैं, इसीलिए इस दिन इनकी जयंती भी मनाई जाती हैे। इसके अतिरिक्त इस दिन जो भी शुभ कार्य किये जाते हैं, उनका अक्षय फल होता है। अक्षय यानी जिसका कभी क्षय न हो या जो कभी नष्ट न हो। वैसे तो सभी बारह महीनों की शुक्ल पक्षीय तृतीया शुभ होती है किंतु वैशाख मास की यह तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तो में मानी गई है।
Monday, 24 April 2017
Pearls of Wisdom - Mukti Ka Sahaj Marg (मुक्ति का सहज मार्ग )
एक व्यक्ति किसी प्रसिद्ध संत के पास गया और उनसे बोला, “महात्मन् ! मुझे मुक्ति का उपाय बताइये। संत ने कहा, “श्मशान में जाओ, कब्रिस्तान में जाओ और कब्रों को खूब गालियाँ निकाल कर आओ।“ उस व्यक्ति ने ऐसा ही किया। दूसरे दिन संत ने कहा, “आज जाओ और कब्रों की खूब प्रशंसा व स्तुति कर के आओ।“ उस व्यक्ति ने फिर ऐसा ही किया। इस बार जब वह संत के पास गया तो संत ने पूछा, “किसी कब्र ने तुम्हें कुछ कहा?” व्यक्ति बोला, “नहीं महात्मन् ! किसी कब्र ने कोई जवाब नहीं दिया।“ संत मुस्कुराये और बोले, “जब तुम इस अवस्था में पहुँच जाओ अर्थात् किसी भी अवस्था में जब तुम्हारी कोई प्रतिक्रिया ना हो तो समझना तुम मुक्ति के अधिकारी हो।“
Saturday, 22 April 2017
Varuthini Ekadashi
वरुथिनी एकादशी - 23 अप्रैल
युधिष्ठिर ने पूछा : हे वासुदेव ! वैशाख मास के कृष्णपक्ष में किस नाम की एकादशी होती है? कृपया उसकी महिमा बताइये।
भगवान श्रीकृष्ण बोले: राजन् ! वैशाख (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार चैत्र ) कृष्णपक्ष की एकादशी ‘वरुथिनी’ के नाम से प्रसिद्ध है । यह इस लोक और परलोक में भी सौभाग्य प्रदान करने वाली है । ‘वरुथिनी’ के व्रत से सदा सुख की प्राप्ति और पाप की हानि होती है । ‘वरुथिनी’ के व्रत से ही मान्धाता तथा धुन्धुमार आदि अन्य अनेक राजा स्वर्गलोक को प्राप्त हुए हैं ।जो फल दस हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद मनुष्य को प्राप्त होता है, वही फल इस ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत रखने मात्र से प्राप्त हो जाता है ।
नृपश्रेष्ठ ! घोड़े के दान से हाथी का दान श्रेष्ठ है । भूमिदान उससे भी बड़ा है । भूमिदान से भी अधिक महत्त्व तिलदान का है । तिलदान से बढ़कर स्वर्णदान और स्वर्णदान से बढ़कर अन्नदान है, क्योंकि देवता, पितर तथा मनुष्यों को अन्न से ही तृप्ति होती है । विद्वान पुरुषों ने कन्यादान को भी इस दान के ही समान बताया है । कन्यादान के तुल्य ही गाय का दान है, यह साक्षात् भगवान का कथन है । इन सब दानों से भी बड़ा विद्यादान है । मनुष्य ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत करके विद्यादान का भी फल प्राप्त कर लेता है । जो लोग पाप से मोहित होकर कन्या के धन से जीविका चलाते हैं, वे पुण्य का क्षय होने पर यात नामक नरक में जाते हैं । अत: सर्वथा प्रयत्न करके कन्या के धन से बचना चाहिए उसे अपने काम में नहीं लाना चाहिए । जो अपनी शक्ति के अनुसार अपनी कन्या को आभूषणों से विभूषित करके पवित्र भाव से कन्या का दान करता है, उसके पुण्य की संख्या बताने में चित्रगुप्त भीअसमर्थ हैं । ‘वरुथिनी एकादशी’ करके भी मनुष्य उसी के समान फल प्राप्त करता है ।
राजन् ! रात को जागरण करके जो भगवान मधुसूदन का पूजन करते हैं, वे सब पापों से मुक्त हो परम गति को प्राप्त होते हैं । अत: पापभीरु मनुष्यों को पूर्ण प्रयत्न करके इस एकादशी का व्रत करना चाहिए । यमराज से डरने वाला मनुष्य अवश्य ‘वरुथिनी एकादशी’ का व्रत करे । राजन् ! इसके पढ़नेऔर सुनने से सहस्र गौदान का फल मिलता है और मनुष्य सब पापों से मुक्त होकर विष्णुलोक में प्रतिष्ठित होता है ।
(सुयोग्य पाठक इसको पढ़ें, सुनें और गौदान का पुण्यलाभप्राप्त करें ।)
Thursday, 20 April 2017
Press Coverage - Avataran Divas of Pujya Asharam Ji Bapu
संतश्री आशारामजी बापू आश्रम, हरिद्वार में 17th अप्रैल को पूज्य बापूजी का "अवतरण दिवस" मनाया गया। इससे पूर्व साधकों द्वारा हर की पौड़ी मार्ग पर नि:शुल्क शर्बत वितरण भी किया गया। प्रमुख समाचार-पत्रों में छपा यह समाचार।
Tuesday, 18 April 2017
Pujya Asharam Ji Bapu Avataran Divas Celebrations at AshramHaridwar
पूज्य संतश्री आशारामजी बापू का "अवतरण दिवस" अर्थात् "विश्व सेवा दिवस" 17 अप्रैल को हरिद्वार आश्रम में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर छोटी बच्चियों ने बहुत ही भावपूर्ण भजन प्रस्तुत किया। इसके एक दिन पूर्व हर की पौड़ी मार्ग पर साधकों द्वारा नि:शुल्क शर्बत वितरण भी किया गया।
Sunday, 16 April 2017
Pujya Sant Shri Asharam Ji Bapu - Avataran Divas
"बधाई हो बधाई अवतरण दिवस की आपको बधाई "
आज जन्मदिन बापूजी का आया है देने को बधाई हर दिल गाया है
Param Pujya Sant Shri Asharamji Bapu, AshramHaridwar cordially invites you with family and friends to join us for : “81st AVATARAN DIVAS” of Sant Shri Asharamji Bapu on 17th April 2017 from 10:30 AM onwards:-
Monday, 10 April 2017
Sri Hanuman Jayanti
११ अप्रैल - हनुमान जयन्ती
"रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवनसुत नामा।"
ग्यारहवें रुद्र पवनपुत्र हनुमानजी चैत्र की पूर्णिमा को अवतरित हुए थे और चिरंजीवी हैं। आइये आपको बताते हैं कि हनुमानजी आज भी भक्तों की मनोकामना कैसे पूर्ण करते हैं:-
हनुमान चालीसा
हनुमान चालीसा की 5 चौपाइयों का यदि नियमित सच्चे मन से वाचन किया जाए तो यह परम फलदायी सिद्ध होती हैं। इसका वाचन मंगलवार या शनिवार को करना परम शुभ होता है। ध्यान रखें हनुमान चालीसा की इन चौपाइयों को पढ़ते समय उच्चारण में कोई गलती ना हो।
1- भूत-पिशाच निकट नहीं आवे। महावीर जब नाम सुनावे।।
इस चौपाइ का निरंतर जाप उस व्यक्ति को करना चाहिए जिसे किसी का भय सताता हो। इस चौपाइ का नित्य रोज प्रातः और सायंकाल में 108 बार जाप किया जाए तो सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।
2- नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
यदि कोई व्यक्ति बीमारियों से घिरा रहता है, अनेक इलाज कराने के बाद भी वह सुख नही पा रहा, तो उसे इस चौपाइ का जाप करना चाहिए। इस चौपाइ का जाप निरंतर सुबह-शाम 108 बार करना चाहिए। इसके अलावा मंगलवार को हनुमान जी की मूर्ति के सामने बैठकर पूरी हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए, इससे जल्द ही व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है।
3- अष्ट-सिद्धि नवनिधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
यह चौपाइ व्यक्ति को समस्याओं से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है। यदि किसी को भी जीवन में शक्तियों की प्राप्ति करनी हो, ताकि वह कठिन समय में खुद को कमजोर ना पाए तो नित्य रोज, ब्रह्म मुहूर्त में आधा घंटा इन पंक्तियों का जप करे, लाभ प्राप्त हो जाएगा।
4- विद्यावान गुनी अति चातुर। रामकाज करिबे को आतुर।।
यदि किसी व्यक्ति को विद्या और धन चाहिए तो इन पंक्तियों के जप से हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है। प्रतिदिन 108 बार ध्यानपूर्वक जप करने से व्यक्ति के धन सम्बंधित दुःख दूर हो जाते हैं।
5- भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्रजी के काज संवारे।।
जीवन में ऐसा कई बार होता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद कार्य में विघ्न प्रकट होते हैं। यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा हो रहा है तो उपरोक्त दी गई चौपाइ का कम से कम 108 बार जप करें, लाभ होगा।
Thursday, 6 April 2017
Rate Card of Media
Indian Media is suffering from a deadly disease known as "Deficiency of Vitamin 'M'(Money)". What you have to do is pay them to cure them? If you don't pay them they will start polluting the entire nation with their sick mentality. They will start spreading the false news and fake stories about our Hindu Saints. Don't believe it?
You can check the #RateCardOfMedia
Tuesday, 4 April 2017
5 अप्रैल - श्रीरामनवमी (Ram Navami)
5 अप्रैल - श्रीरामनवमी
परम पूज्य संत श्रीआशाराम बापूजी सत्संग में बताते हैं कि रामजी को बचपन में दीक्षा मिली, बाद में शिक्षा के लिये गुरुकुल गये। रामजी सदैव सारगर्भित, मधुर व शास्त्रसम्मत बोलते थे। दूसरों को मान देने वाली वाणी बोलते थे और अपनों से छोटों का उत्साह बढ़ाते थे। राजदरबार में कभी वैमनस्य हो जाता तो रामजी किसी एक पक्ष को यह नहीं बोलते कि “तुम गलत हो, यह सही है।“ नहीं, जो सही है उनके पक्ष में रामजी उदाहरण देते, इतिहास बताते, पूर्वजनों की बात सुनाते। जो गलत होते वे अपने-आप उचित बात समझ जाते।
संसार–ताप से तप्त जीवों को,मर्यादा भूलकर राग-द्वेष और ईर्ष्या की अग्नि में स्वयं को जलाने वाले मानव को, मर्यादा से जीकर शीतलता पाने का संदेश देने वाले अवतार मर्यादापुरुषोत्तम श्रीरामावतार की आप सभी को खूब-खूब बधाई।
भगवान श्रीराम के प्रमुख ग्रन्थ "श्रीरामचरित मानस" में कुछ चौपाइयां ऐसी हैं जिनका विपत्तियों तथा संकट से बचाव और ऋद्धि-सिद्ध के लिए मंत्रोच्चारण के साथ पाठ किया जाता है। इन चौपाइयों को मंत्र की तरह विधि-विधान पूर्वक एक सौ आठ बार हवन की सामग्री से सिद्ध किया जाता है। हवन के लिये चंदन के बुरादे, जौ, चावल, शुद्ध केसर, शुद्ध घी, तिल, शक्कर, अगर, तगर, कपूर, नागर मोथा, पंचमेवा आदि का प्रयोग निष्ठापूर्वक मंत्रोच्चार के साथ करें:-
धन सम्पत्ति की प्राप्ति हेतु-
"जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं।
सुख सम्पत्ति नानाविधि पावहिं।।"
विद्या प्राप्ति के लिए-
"गुरु ग्रह गए पढ़न रघुराई।
अलपकाल विद्या सब आई।।"
ज्ञान प्राप्ति के लिए-
"छिति जल पावक गगन समीरा।
पंचरचित अति अधम शरीरा।।"
रोगों से बचनें के लिए-
"दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम काज नहिं काहुहिं व्यापा।।"
Sunday, 2 April 2017
Nation Demands #RemoveUnfairPOCSOlaw
PMO India Nation demands #RemoveUnfairPOCSOlaw because it has many loopholes to misuse and trap INNOCENTS.
Must Read:-
Subscribe to:
Posts (Atom)