Sunday, 31 July 2016

I am the Infinite

#‎FoodforThought‬ by H.D.H. Asharam Bapu Ji

Who can kill me? I am Spirit unborn and undecaying, never was I born and never do I die. I am the Infinite.

 
 

Thursday, 28 July 2016

Pradhan Times Coverage: Andolan against Injustice

 

"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।"

 
 

हमारे शास्त्र कहते हैं कि सनातन धर्म स्वयं परमात्मा से रक्षित है। जब - जब इस धर्म पर संकट आता है तो परमात्मा किसी ना किसी रूप में इसकी रक्षा करने के लिये अवतार ले लेता है। कभी मुगलों तो कभी अंग्रेजों से शोषित होते – होते यह सनातन ‪#‎हिन्दूधर्म‬ ऐसे कगार पर पहुँच गया कि लगने लगा अब इसका विनाश बहुत नजदीक है परन्तु नहीं इसके पुनरुत्थान के लिये समस्त संत – समाज एकजुट हो गया है और वह दिन दूर नहीं जब हिन्दू धर्म पूरे विश्व का सिरमौर होगा।। यह भी सत्य है कि आज हिन्दू संत समाज पर बहुत अत्याचार हो रहे हैं पर अब हिन्दू जागने लगा है और इस अन्याय के विरुद्ध आवाज़ बुलन्द कर रहा है क्यूंकि वह समझ चुका है, “ अभी नहीं तो कभी नहीं ” । अब इसके लिये चाहे सरकार को चेताना पड़े, चाहे न्यायालय का द्वार खटखटाना पड़े, जागना और जगाना तो पड़ेगा ही। हरिॐ..... हरिॐ..... हरिॐ......

अवश्य पढ़ें :- ‪#‎PradhanTimesNews‬ - हिन्दूओं व हिन्दू संतों पर अत्याचार के खिलाफ मुंबई में विशाल हिन्दू आंदोलन|

Wednesday, 27 July 2016

Sukh aur Dukh

#‎FoodforThought‬ by H. D. H. Asharam Bapu Ji

सुख सपना दु:ख बुलबुला दोनो है मेहमान।

दोनो बीतन दीजिये जो चाहो कल्याण।।

 

Tuesday, 26 July 2016

Budhwari Ashtami - 27-July-2016


27 जुलाई 2016

बुधवार को (सूर्योदय से दोपहर 03:33 तक)

बुधवारी अष्टमी हैं।

 

मंत्र जप एवं शुभ संकल्प हेतु विशेष तिथि:


सोमवती अमावस्या, रविवारी सप्तमी, मंगलवारी चतुर्थी, बुधवारी अष्टमी – ये चार तिथियाँ सूर्यग्रहण के बराबर कही गयी हैं। 

 

 इनमें किया गया जप-ध्यान, स्नान , दान व श्राद्ध अक्षय होता है।

 
 

Monday, 25 July 2016

भगवान के नाम का आश्रय

संत महापुरुष कहते हैं कि ईश्वर दर्शन की यदि अभिलाषा हो तो भगवान के नाम में विश्वास तथा पाप – पुण्य का भेद विचार रखकर चलना चाहिये। ज्ञान, अज्ञान, भूलवश या जानकर किसी भी प्रकार से भगवान के नाम का उच्चारण किया जाये तो उसका फल अवश्य मिलता है। बल्ब  का कार्य है कि वह सब को प्रकाश देता है अब चाहे कोई उसके प्रकाश में चोरी करे या श्रीमद् भागवत का पाठ करे,चाहे कोई भोजन बनाये या नंगा होकर नाचे इससे बल्ब को क्या? वह गुण – दोष से परे है उसका काम है प्रकाश देना। ऐसे ही कोई भगवान के नाम का आश्रय लेकर मुक्ति चाहता है और कोई ठगी या जालसाजी करता है तो इसमें भगवान का क्या दोष? फल तो उसे मिलेगा ही।

Sunday, 24 July 2016

The Power of MANTRA & YOGA

When the clay-model child spoke and saluted his GURU.
(Article on Asharam Bapuji Discourses in "Sadelok" - Weekly Newspaper Published from California, U.S. (July 20 - 26th))

Saturday, 23 July 2016

Pujya Asharam Bapu ji framed by media in false rape allegations - Exposed by Jodhpur Police

DCP Ajay Lamba shows how media misled nation on Asharam Bapu Ji case.

He says "It's not a Rape case. There is no connection of Rape case with allegations on Asharam Bapu."

 
 

Friday, 22 July 2016

Gurupurnima Celebrations at AshramHaridwar

आश्रम हरिद्वार में मनाया गया गुरुपूर्णिमा महोत्सव

साधकों ने लिया वीडियो सत्संग का लाभ

 
 



Thursday, 21 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji

महाभारत में आता है कि पांडवों के वनवास के समय युधिष्ठिर ने अष्टोत्तरशतनामात्मक स्तोत्र द्वारा भगवान सूर्य का अनुष्ठान किया। प्रसन्न होकर सूर्यनारायण ने दर्शन दिये और तांबे की एक बटलोई (भोजन बनाने का एक गोल तले का बर्तन) देते हुए कहा कि इस पात्र द्वारा निकला भोजन तब तक अक्षय बना रहेगा जब तक द्रौपदी स्वयं भोजन न करे और परोसती रहे। एक दिन पांडव व द्रौपदी भोजन से निवृत होकर सुखपूर्वक बैठे थे तभी अपने दस हजार शिष्यों के साथ दुर्वासा मुनि उस वन में आये। युधिष्ठिर विधिपूर्वक उनकी पुजा करके बोले: “हे मुने! अपना नित्य नियम पूरा करके भोजन के लिये शीघ्र पधारिये।“  

 

इधर द्रौपदी को भोजन के लिये बड़ी चिंता हुई। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। तभी द्रौपदी को याद आया कि जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं और आशा की कोई किरण नहीं होती तो एकमात्र भगवान की प्रार्थना और उनका आश्रय ही हमें बचा सकता है। वह सच्चे मन से भगवान श्रीकृष्ण को पुकारने लगी। शुद्ध हृदय से की गयी सच्ची, भावपूर्ण प्रार्थना ईश्वर जरूर सुनते हैं। द्रौपदी की पुकार सुनकर भगवान तुरंत ही वहाँ आ पहुँचे। द्रौपदी ने सब समाचार कह सुनाया। श्रीकृष्ण ने कहा: “कृष्णे! इस समय बहुत भूख लगी है, पहले मुझे भोजन कराओ फिर सारा प्रबंध करते रहना।“ उनकी बात सुनकर द्रौपदी को बड़ा संकोच हुआ। वह बोली: “देव! सूर्यनारायण की दी हुई बटलोई से तभी तक भोजन मिलता है,जब तक मैं भोजन न कर लूँ। आज तो मैं भी भोजन कर चुकी हूँ, अत: अब उसमें भोजन नहीं है।“

 

“कृष्णे! जल्दी जाओ और बटलोई लाकर मुझे दिखाओ।“ हठ करके द्रौपदी से बटलोई मँगवायी। पात्र में जरा सा साग लगा हुआ था। श्री कृष्ण ने उसे खा लिया और कहा: “इस साग से सम्पूर्ण विश्व के आत्मा यज्ञभोक्ता सर्वेश्वर भगवान श्रीहरि तृप्त और संतुष्ट हों।“

 

इधर मुनि लोगों को सहसा पूर्ण तृप्ति का अनुभव हुआ। बार-बार अन्नरस से युक्त डकारें आने लगीं। यह देख वे जल से बाहर निकले और दुर्वासा मुनि से बोले: “हे मुने! इस समय इतनी तृप्ति हो रही है कि कण्ठ तक अन्न भरा हुआ जान पड़ता है। अब कैसे भोजन करेंगे?” दुर्वासा मुनि अपने शिष्यों सहित पांडवों से बिना मिले ही वहाँ से प्रस्थान कर गये। अत: संकट में भगवान व गुरु की शरण तथा प्रार्थना का आश्रय लेने से बिगड़ी हुई बाजी भी सँवर जाती है।

 

Tuesday, 19 July 2016

Guru Purmina - 19-July-2016

 

गुरु पूर्णिमा: 19th जुलाई 2016

की आप सभी को

खूब – खूब बधाई।

 
 


“श्री गुरुस्त्रोतम्” में भगवान महादेव माता पार्वती को कहते हैं :-

प्राणं देहं गेहं राज्यंस्वर्गं भोगं योगं मुक्तिम् |

भार्यामिष्टं पुत्रं मित्रं न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||

 

*** प्राण, शरीर, गृह, राज्य, स्वर्ग, भोग, योग, मुक्ति, पत्नी, इष्ट, पुत्र, मित्र इन सबमें से कुछ भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है ||

श्रीभृगुदेवं श्रीरघुनाथं श्रीयदुनाथं बौद्धं कल्क्यम् |

अवतारा दश वेदविधानं न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||

 

*** भगवान के श्री भृगु, राम, कृष्ण, बुद्ध तथा कल्कि आदि वेदों में वर्णित दस अवतार भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है ||

तुलसीसेवा हरिहरभक्तिः गंगासागर - संगममुक्तिः |

किमपरमधिकं कृष्णेभक्तिर्न गुरोरधिकं न गुरोरधिकं ||

 

*** तुलसी की सेवा, विष्णु व शिव की भक्ति, गंगा सागर के संगम पर देह त्याग और अधिक क्या कहूँ परात्पर भगवान श्री कृष्ण की भक्ति भी श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है, श्री गुरुदेव से बढ़कर नहीं है || गुरुपूर्णिमा के इस पावन पर्व पर आओ हम हृदयपूर्वक प्रार्थना करें कि अपने सद्गुरु का ज्ञान हम लोगों में  अधिक से अधिक स्थिर हो, अधिक से अधिक फूले फले......  

 

पूज्य बापूजी कहते हैं, “ सद्गुरु की पूजा, सद्गुरु का आदर किसी व्यक्ति की पूजा नहीं है, व्यक्ति का आदर नहीं है लेकिन सद्गुरु की देह के अंदर जो विदेही आत्मा है, परब्रह्म परमात्मा हैं उनका आदर है । किसी व्यक्ति की पूजा नहीं लेकिन उसमें जो लखा जाता है, उसमें जो अलख बैठा है उसका आदर है... ज्ञान का आदर है... ज्ञान का पूजन है... ब्रह्मज्ञान का पूजन है । देवी - देवताओं की पूजा के बाद कोई पूजा रह जाये लेकिन ब्रह्मवेत्ताओं का ब्रह्मज्ञान जिसके जीवन में प्रतिष्ठित हो गया, फिर उसके जीवन में किसकी पूजा बाकी रहे ! जिसने सदगुरु के ज्ञान को पचा लिया, सद्गुरु की पूजा कर ली उसे संसार खेलमात्र प्रतीत होता है । गुरुपूर्णिमा के पर्व पर परमात्मा स्वयं अपना अमृत बाँटते हैं । वर्ष भर के अन्य पर्व और उत्सव यथाविधि मनाने से जो पुण्य होता है उससे कई गुना ज्यादा पुण्य यह गुरुपूर्णिमा का पर्व दे जाता है।“

Monday, 18 July 2016

Pradhan Times Coverage: Gurupurnima Mahotsav Karyakram

"Sant Shri Asharam Bapu Ji AshramHaridwar Wishes All A Blessed Guru Purnima."

#‎MyGuruPurnimaWithBapuji

 

Gurupurnima Mahotsav Karyakram on 19th July 2016

Sunday, 17 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji


स्वामी समर्थ रामदास सद्गुरु की महिमा का वर्णन करते हुये कहते हैं कि जो गुरु शुद्ध ब्रह्मज्ञानी होते हुए भी कर्मयोगी अर्थात् " सत् " का अनुभव में उपदेश करने वाले होते हैं, वे ही सद्गुरु हैं और वे ही शिष्य को परमात्म दर्शन करा सकते हैं। शास्त्र - अनुभव, गुरु - अनुभव और आत्म -अनुभव इन तीनों का मनोहर संगम जिस पुरुष में दिखे, वे ही उत्तम लक्षणों से सम्पन्न सद्गुरु हैं। मोक्ष के इच्छुक जिज्ञासु को पूरे मन और अत्यंत आदर के साथ ऐसे सद्गुरु की शरण जाना चाहिये तथा उनसे विनम्र निष्कपट होकर आत्मविद्या का लाभ लेना चाहिये।

Saturday, 16 July 2016

Sankranti - 16-July-2016

संक्रांति के दिन किये गये जप, ध्यान, दान और किसी भी पुण्यकर्म का फल अक्षय होता है।  संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सुबह 10.16 तक। सभी अवश्य लाभ लें।

Friday, 15 July 2016

Importance of DevShayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी का महात्मय पूज्य बापूजी की मधुर वाणी में।

अवश्य सुनें




Thursday, 14 July 2016

Devshayani Ekadashi

देवशयनी एकादशी - 15 जुलाई

आषाढ़ शुक्ल एकादशी को “देवशयनी एकादशी” कहते हैं।  भगवान नारायण इस दिन से चार मास तक क्षीर सागर में शयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इसीलिये इस दिन को 'देवशयनी'  कहा जाता है। इस काल (चतुर्मास) में यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, ग्रहप्रवेश, गोदान, प्रतिष्ठा एवं जितने भी शुभ कर्म है, वे सभी त्याज्य होते हैं।

एक बार देवऋषि नारदजी ने ब्रह्माजी से इस एकादशी के विषय में जानने की उत्सुकता प्रकट की, तब ब्रह्माजी ने बताया – “ सतयुग में मांधाता नामक एक चक्रवर्ती सम्राट राज्य करते थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी थी किंतु भविष्य में क्या हो जाये, यह कोई नहीं जानता। अतः वे भी इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनके राज्य में शीघ्र ही भयंकर अकाल पड़ने वाला है। उनके राज्य में पूरे तीन वर्ष तक वर्षा न होने के कारण भयंकर अकाल पड़ा। इस दुर्भिक्ष (अकाल) से चारों ओर त्राहि-त्राहि मच गई। धर्म पक्ष के यज्ञ, हवन, पिंडदान, कथा - व्रत आदि में कमी हो गई। प्रजा ने राजा के पास जाकर गुहार लगाई।
राजा तो इस स्थिति को लेकर पहले से ही दुःखी थे। वे सोचने लगे कि आखिर मैंने ऐसा कौन  सा पाप - कर्म किया है, जिसका दंड मुझे इस रूप में मिल रहा है? इस कष्ट से मुक्ति पाने का कोई साधन जानने के उद्देश्य से राजा सेना को लेकर जंगल की ओर चल दिए। वहाँ विचरण करते - करते एक दिन वे ब्रह्माजी के पुत्र अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुँचे और उन्हें साष्टांग प्रणाम किया। ऋषिवर ने आशीर्वचनोपरांत कुशल क्षेम पूछा। फिर जंगल में विचरने व अपने आश्रम में आने का प्रयोजन जानना चाहा।
तब राजा ने हाथ जोड़कर कहा- 'महात्मन्‌! सभी प्रकार से धर्म का पालन करता हुआ भी मैं अपने राज्य में दुर्भिक्ष देख रहा हूँ। आखिर किस कारण से ऐसा हो रहा है, कृपया इसका समाधान करें।' यह सुनकर महर्षि अंगिरा ने कहा- 'हे राजन! सब युगों से उत्तम यह सतयुग है। इसमें छोटे से पाप का भी बड़ा भयंकर दंड मिलता है। इसमें धर्म अपने चारों चरणों में व्याप्त रहता है। ब्राह्मण के अतिरिक्त किसी अन्य जाति को तप करने का अधिकार नहीं है जबकि आपके राज्य में एक शूद्र तपस्या कर रहा है। यही कारण है कि आपके राज्य में वर्षा नहीं हो रही है। जब तक वह काल को प्राप्त नहीं होगा, तब तक यह दुर्भिक्ष शांत नहीं होगा। दुर्भिक्ष की शांति उसे मारने से ही संभव है।' किंतु राजा का हृदय एक निरपराध शूद्र तपस्वी का शमन करने को तैयार नहीं हुआ। उन्होंने कहा- “ हे देव ! मैं उस निरपराध को मार दूँ, यह बात मेरा मन स्वीकार नहीं कर रहा है। कृपा करके आप कोई और उपाय बताएँ।“ महर्षि अंगिरा ने कहा – “ आषाढ़ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी का व्रत करें। इस व्रत के प्रभाव से अवश्य ही वर्षा होगी।“
राजा अपने राज्य की राजधानी लौट आये और चारों वर्णों सहित ‘देवशयनी एकादशी’ का विधिपूर्वक व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उनके राज्य में मूसलधार वर्षा हुई और पूरा राज्य धन -धान्य से परिपूर्ण हो गया।

Wednesday, 13 July 2016

Medical Report of H. H. Asharam Bapu Ji

एक और नया खुलासा....

राजस्थान मेडिकल बोर्ड एवं आयुर्वेद विशेषज्ञों की रिपोर्ट के अनुसार संत_आशारामजी_बापू अनेक भयंकर बीमारियों से ग्रसित पाए गए ।

 

पिछले कुछ समय से आशारामजी बापू को आप Wheel Chair में Court आते देख रहे होंगे, जो एक झूठे case में जोधपुर जेल में हैं, जिसमे लड़की UP की है और अपने साथ हुई जोधपुर में झूठी दुष्कर्म की FIR Delhi में दर्ज़ कराती है, अब तक जांच में कोई भी सबूत नही मिला जिससे दुष्कर्म की पुष्टि हो,मेडिकल रिपोर्ट में भी कुछ नही मिला, लेकिन चूँकि केस एक सुनियोजित षड़यंत्र का हिस्सा है, POCSO जैसी one sided धारा लगी है,न्याय में विलम्ब हो रहा है , अब आइये जरा विचार करते हैं की की इस विलम्ब का बापूजी के Health में क्या असर हो रहा है, बापूजी के भक्तों को वो सिर्फ Wheel Chair में दिखते हैं, पर शायद उन्हें नहीं पता की हक़ीक़त इससे भी भयानक है |

 

राजस्थान हाई_कोर्ट के अनुसार एस.एन. मेडिकल कॉलेज में 28 जून को संत आशारामजी बापू की सेहत की जाँच की गई थी ।


जाँच रिपोर्ट में जो बात सामने आयी, उसके मुताबिक संत आशारामजी बापू को ट्राईजेमिनल न्यूरोलॉजिया (अनंत वात ) नाम की बीमारी है ।

 

 

अब ज़रा देखते हैं उस रिपोर्ट के अनुसार बापूजी को जो बीमारियां हैं वो है क्या?.👇

1.CIDP(Chronic Inflammatory Demyelinating Polyneuropathy): सरल शब्दों में इस बीमारी या ये कहें जानलेवा बीमारी का मतलब होता है मरीज़ अपने महसूस करने की शक्ति खो देता है, उसे बहुत ज्यादा कमजोरी आ जाती है,नसें सुन्न हो जाती है,चलने फिरने बैठने में बहुत दिक्कत होती है,हर समय तेज़ दर्द रहता है, नींद पर सीधा असर होता है, wheel chair में ही रहना पड़ता है,तकलीफ बढ़ने पर लकवा (Paralysis) मारने का खतरा बढ़ जाता है, जेल जैसे प्रतिकूल वातावरण में उचित चिकित्सा के अभाव में ये समस्या और बढ़ती जा रही है

2. TGN(Trigeminal Neuralgia) : ये तो एक बहुत तीव्र वेदना वाली दिमागी बीमारी है,मस्तिष्क में कान के पास Trigeminal नस के ठीक से काम नहीं करने के कारण ये समस्या आती है,ये मुख्यतया चेहरे के 3 main parts को प्रभावित करती है, मस्तक, नाक के आसपास व् ऊपरी जबड़ा तथा निचला जबड़ा व ठुड्डी के पास, इस बीमारी की पीड़ा कई प्रसूति की पीड़ा से भी बढ़कर होती है,अचानक बिजली के झटके लगने जैसी पीड़ा, चेहरे में चाकू गोदने जैसी पीड़ा मरीज़ के लिए आम बात है, मरीज़ को दिन में ऐसे कई बार Pain का Stroke आते हैं, खाने पीने सोने में दिक्कत बढ़ जाती है,बार बार दर्द की वजह से आत्महत्या तक के विचार आते हैं, एक उम्र के बाद i.e. 65 साल के बाद इसका इलाज़ बहुत मुश्किल होता है ,
जेल में लगे mobile jammer और उसकी हानिकारक विकिरणों की वजह से बापूजी की ये तकलीफ और भी बढ़ रही है ।

3.Hypothyroidism : शरीर में मौजूद थाइराइड ग्रंथि के ठीक से काम नहीं करने की वजह से ये समस्या आती है, बापूजी की आँख के नीचे काले घेरे और सूजन इसका एक लक्षण है,

4.Anemia : शरीर के रक्त में iron की कमी, बापूजी के जेल जैसे वातावरण में इतने दिन तक उचित खान पान के बगैर रहना इसका एक कारण है |

5. Bilateral Sacral Radiculopathy : इस बीमारी का असर रीढ़ की हड्डी और कमर पर होता है,तेज़ दर्द के साथ उठने बैठने में तकलीफ़ आम बात है, वज्र में तेज़ गति से कोर्ट जाने पर सोचा जा सकता है की इसका शरीर में क्या असर होता होगा।

6. Urinal infection : खान पान में अनियमितता और जेल जैसी जगह के दूषित पानी से ये समस्या और बढ़ रही है |

7. Early OsteoArthritis of both the knees : दोनों घुटनों में तेज दर्द,चलने फिरने में तकलीफ, घुटनों के जॉइंट में असहनीय पीड़ा |

संत आशारामजी बापू ने यह दावा किया था कि विशेषज्ञों ने इस इलाज के लिए उन्हें केरल जाने की सलाह दी है। आशारामजी बापू कहते है कि भयंकर बीमारी ट्राईजेमिनल न्यूरोलॉजिया इससे बड़ी कोई पीड़ा नहीं ।

यह वही बीमारी है, जिससे वह 15, 16 साल से जूझ रहे है । राजस्थान हाई_कोर्ट के निर्देश पर बनी मेडिकल बोर्ड ने भी अपने रिपोर्ट में इस बीमारी की बात कही है | इस बीमारी में असहनीय दर्द होता है ।

चलिए अब आपको बताते है कि आखिर ये बीमारी है क्या....???
1. ब्रेन के साथ जुड़नेवाली 12 नर्व में से एक है ट्राईजेमिनल नर्वस जैसा कि आप तस्वीर में देख रहे है । इस नर्व की तीन शाखाएं होती है इसलिए इसे त्रिनाड़ी शूल भी कहते है ।
2. नर्व के तीन शाखाएं चहरे के ऊपरी,मध्य व निचले हिस्से की सेंसेशन या संवेदना को दिमाग तक पहुँचाती है ।
3. इसी ट्राईजेमिनल नर्व को जब किसी तरह का नुकसान पहुंचता है तो ट्राईजेमिनल न्यूरोलॉजिया नाम की बीमारी होती है । इसमें नर्व की एक, दो या सभी तीनों शाखाएं प्रभावित हो सकती है ।
4. नर्व का जो हिस्सा प्रभावित होता है । उस हिस्से में अचानक तेज दर्द या जलन हो सकती है । यह दर्द कुछ सेकंड से दो मिनट तक रह सकता है ।
5. दर्द का यह दौरा दिन में कई बार भी पड़ सकता है । दौरे की संख्या व दर्द की तीव्रता इस बात पर निर्भर करती है कि नर्व को कितना नुकसान पहुंचा है ।
6. इलाज भी इसी के अनुसार होता हैं । इस बीमारी का इलाज के लिए सर्जरी भी की जाती है ।जब डॉ. सुब्रमण्यम स्वामीजी संत आशारामजी बापू का केस लड़ने आगे आये तो कई सुनवाईयों में वो जोधपुर भी पहुँचे और कहा कि संत आशारामजी बापू के साथ अन्याय हुआ है और उन्हें जमानत मिलनी ही चाहिए |

इन सबको छोड़कर बापूजी को और भी छोटी बड़ी आधा दर्जन से भी ज्यादा बीमारी है, बापूजी उम्र के इस पड़ाव और विपरीत परिस्थितियों के बीच भी अगर टिके हुये हैं तो ये इनके प्राण बल, उच्चतम आध्यात्मिक शक्ति और भक्तों की प्रार्थनाओं की वजह से हैं, अब देखना यह है की भारत की न्याय पालिका जो की एक छींक आने पर भी नेता, अभिनेता,पत्रकारों और रसूखदारों को सजा में राहत देती है ,पुख्ता सबूत होने पर भी आज जो सब बाहर खुले में घूम रहे हैं,एक निर्दोष संत जो की पिछले 3 साल से एक झूठे केस में जोधपुर जेल में बंद है ,उम्र के इस 79 वर्ष के पड़ाव में देश,धर्म और मानव उत्थान को अपने जीवन के 50 वर्ष देने के बाद भी ,फिर से निर्णय के नाम में एक "तारीख़" के हक़दार होंगे या जनता की आस्था और विश्वास के साथ न्याय होगा।आज देश विदेश में जो अराजकता और अशांति का वातावरण है उसके पीछे की मुख्य वजह दैवी और आसुरी शक्तियों का संघर्ष है, संत धर्म की नींव हैं इन पर जब जब अत्याचार हुआ है एक महापरिवर्तन हुआ है ,इतिहास गवाह है। अब नहीं जागें तो कभी नहीं।

Tuesday, 12 July 2016

Chaturmas - 15 July to 11 November 2016

चतुर्मास - 15 जुलाई से 11 नवम्बर

1. चतुर्मास में भगवान नारायण एक रूप में तो राजा बलि के पास रहते हैं और दूसरे रूप में शेष शय्या पर शयन करते हैं, अपने योग स्वभाव में, शांत स्वभाव में, ब्रह्मानन्द स्वभाव में रहते हैं।  अत: इन दिनों में किया हुआ जप, संयम, दान, उपवास, मौन आदि विशेष हितकारी, पुण्यदायी व सफलतादायी होते हैं।

2. चतुर्मास में दीपदान अर्थात आश्रम, मंदिर, गंगाजी का तट, पीपल के नीचे अथवा घर पर दीपक जलाने से बुद्धि, विचार और व्यवहार में ज्ञान – प्रकाश की वृद्धि होती है, दीपदान करने का फल भी होता है।

3. बिल्वपत्र (बेल के पत्ते) के जल से स्नान करना पापनाशक व प्रसन्नतादायक होता है। बिल्वपत्र बाल्टी में डाल दें। पाँच बार “ॐ नम: शिवाय” का जप करके फिर पानी सिर पर डालें तो पित्त की बीमारी, कंठ का सूखना कम होगा तथा चिड़चिड़ा स्वभाव भी कम हो जायेगा।

4. चतुर्मास में पाचनतंत्र दुर्बल होता है अत: खानपान सादा, सुपाच्य होना चाहिये। इन दिनों पलाश की पत्तल पर भोजन करने वाले को एक-एक दिन एक-एक यज्ञ करने का फल होता है। पलाश के पत्तल पर भोजन बड़े-बड़े पातकों का नाश करता है व ब्रह्मभाव को प्राप्त कराने वाला होता है।

5. चतुर्मास में निंदा न करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें, किसी भी स्त्री पर बुरी नज़र न डालें, संत दर्शन, सत्संग श्रवण, संतों की सेवा तथा भ्रूमध्य में ‘ ॐकार ’ का ध्यान करने से बुद्धि का अद्भुत विकास होता है। मिथ्या आचरण का त्याग कर जप अनुष्ठान करें तो ब्रह्मविद्या का अधिकार मिल जाता है।

Monday, 11 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji

Just as the aroma of flowers makes fragrant all things ( earth, air, water ) in their vicinity, so also the virtuous make good all people who come into their contact. Likewise, the influence of the dense people who are immersed in worldly desires is quite pervasive. The constant company of the Saints and other holy people has much beneficial effect by way of moral and Spiritual elevation. It is, therefore, incumbent upon the aspirant to seek the society of Saints so that he may acquire a spirit of Peace and Tranquility.

Sunday, 10 July 2016

Self Realization

पूज्य बापूजी बता रहे हैं छ: महीने में आत्म – साक्षात्कार करने का आसान तरीका। आइये जानें कैसे :-

Saturday, 9 July 2016

Ravivari Saptami

रविवारी सप्तमी - 10 जुलाई I दोपहर - 3.09 से 11 जुलाई सूर्योदय तक।

इस दिन किये गये जप - ध्यान का लाख गुना फल होता है ।

रविवार सप्तमी के दिन यदि कोई व्रत करके एक समय नमक - मिर्च बिना का भोजन करे और सूर्य भगवान की पूजा करे , तो उसकी घातक बीमारियाँ दूर हो सकती हैं।

Friday, 8 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji

The company of Realized Souls who have become one with the GOD, is so sweet that the sweetness of Paradise and the Joy of Salvation can not equal it.

Thursday, 7 July 2016

Namaskar - Food for Thought by Bapuji

पूज्य बापूजी ने सदैव सत्संग में यही बताया है कि बच्चों को सुबह माता - पिता एवं पूजनीय - आदरणीय गुरुजनों को प्रणाम करना चाहिये। उनसे आशीर्वाद लेना चाहिये। बड़े भाई, बड़ी बहन को भी प्रणाम करना चाहिये। घर में यदि बड़े लोग इस नियम को अपनायेंगे तो छोटे बालक स्वयं ही उनका अनुकरण करेंगे। परस्पर नमस्कार करने से कुटुम्ब में दिव्य भावनाएं प्रबल होंगी तो लड़ाई - झगड़ों एवं कटुता के लिये अवकाश ही नहीं रहेगा। यदि कुछ खटपट होगी भी तो लम्बी नहीं टिकेगी। परिवार का जीवन मधुर बन जायेगा। परमार्थ साधना सरल हो जायेगा।

" नमस्कार से रामदास, कर्म सभी कट जायें।
  जाय मिले परब्रह्म में, आवागमन मिटाये।। 

Wednesday, 6 July 2016

Food for Thought by H. D. H. Asharam Bapu Ji

गुरुदेव कैसे कृपा करते हैं? “ जीव शिव से एक हो जाये ” – ऐसी गुरुदेव की अमृतमयी दृष्टि होती है। आनंदमयी माँ से एक भक्त ने पूछा : “ किस अर्थ में गुरुदेव हमारे साथ हैं ?” माँ बोली : “ यह बात अनेक अर्थों में बतायी जा सकती है। पहले इस विषय को अखंड भाव से देखो। गुरु विश्व – ब्रह्मांड के अणु – परमाणु में व्याप्त हैं। इस अर्थ में वह तुम्हारे साथ हैं। दूसरी ओर विचार करने पर देखा जाता है कि जगत में एक ‘सत’ वस्तु है। वे ही गुरु हैं और वे ही शिष्य हैं। इस अर्थ से गुरु तुम्हारे साथ हैं। इसके अलावा गुरु मंत्र रूप से तुम्हारे साथ हैं। इसके बाद विषय को खंड रूप में देखने पर जाना जाता है कि योगी जन योग के जरिये एक ही समय में अनेक जगह पर रह सकते हैं। शिष्य के मंगल के लिये गुरु योगशक्ति के जरिये खंड रूप में सभी शिष्यों के साथ सर्वदा रह सकते हैं।“

श्रीआशारामायण की यह पंक्ति पूज्य बापूजी के करोड़ों साधकों का अनुभव है : “ सभी शिष्य रक्षा पाते हैं, सूक्ष्म शरीर गुरु आते हैं।“ 

Monday, 4 July 2016

Food for Thought by H. D. H Asharam Bapu Ji

गुरु कहें या संत, इनकी महिमा का पूरी तरह से वर्णन करने में तो वेद और शास्त्र भी अपने को असहाय महसूस करते हैं। पूज्य बापूजी के श्रीवचन हैं कि गुरु शिष्य के कल्याण के लिये सब कुछ करते हैं। उनके अंदर निरंतर स्नेह की धारा बहती रहती है। सतशिष्य वही है जो गुरु के आदेश के अनुसार चले। उनके वचनों में कभी शंका ना करे, कोई अंतर्विरोध ना करे। तो अंत में एक दिन गुरुकृपा से सतशिष्य अपने अमरत्व का अनुभव कर ही लेगा और वह खुद गुरु – पद पर आसीन हो जायेगा। साथ ही उस सतशिष्य के सान्निध्य में आने वालों का भी कल्याण हो जायेगा।

Sunday, 3 July 2016

Somvati Amavasya - 4 July 2016

सोमवती अमावस्या पर विशेष मंत्र :-

जिनको धन की कमी है वो तुलसी माता की १०८ प्रदिक्षणा करें और "श्री हरि.... श्री हरि.... श्री हरि”.... का जप करें। ‘श्री’ माने सम्पदा, ‘हरि’ माने भगवान की दया पाना। तो ऐसा करने से गरीबी चली जायेगी। #Asaram Bapu Ji


सोमवती अमावस्या

कल 4 जुलाई 2016 सोमवार को (सूर्योदय से शाम 04:32 तक) सोमवती अमावस्या है। इस दिन किया गया जप - ध्यान लाख गुना फलदायी होता है।  जितना फल दीवाली, जन्माष्टमी, होली और शिवरात्रि के दिनों में जप - ध्यान करने से होता है उतना ही फल सोमवती अमावस्या के दिन भी होता है | सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान - दान का बड़ा महत्त्व है। इस दिन मौन रहकर गंगा स्नान करने से हजार गौदान का फल मिलता है।

सोमवती अमावस्या के दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का भी विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है। इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।

Saturday, 2 July 2016

धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो

कुछ समय पहले “ आश्रम हरिद्वार ” के Facebook Page से एक Post “धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो” Share की गई थी। इस Post ने जून महीने की “ऋषि प्रसाद” में भी पाया स्थान। अवश्य पढ़ें इस प्रेरक प्रसंग को।